द्रौपदी मुर्मू: संघर्षों से भरी रही जिंदगी, परिवार में एक के बाद एक मौत, लेकिन नहीं मानी हार

Draupadi Murmu Family Tragedy: NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनावों में जीत हासिल कर ली है और अब वो हिंदुस्तान के 15वें राष्ट्रपति की शपथ लेंगी. इस मौके पर हम आपको द्रौपदी मुर्मू की जिंदगी के कुछ दुखों के बारे में बताने जा रहे हैं. उन्होंने अपनी जिंदगी में अपने जिगर के टुकड़ों को बहुत करीब से जाते हुए देखा है. 



Draupadi Murmu Biography & family history in Hindi: NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनावों में जीत हासिल कर ली है. उन्होंने UPA के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को बड़े फर्क से हराया है. उनकी जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनसे मुलाकात की. इसके अलावा मुर्मू को देश दुनिया से बधाइ मिलने का सिलसिला जारी है.  इस मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी के मुश्किल दिनों के बारे में बताने जा रहे हैं. जब वो बुरी तरह टूट चुकी थीं.

कच्ची दीवारें और फूंस का छप्पर:

ये तो आम सी बात है कि कोई भी शख्स इतने बड़े पद पर यूं ही नहीं पहुंच जाता, उसने जिंदगी में कई ऐसा मकाम का सामना किया होता है जिनके बारे वही शख्स अगर पीछे मुड़कर देखे तो शायद उसी की रूह कांप जाए. कुछ इसी तरह की परेशानियों सामना करने के बाद मुर्मू भी यहां तक पहुंची हैं. एक खबर के मुताबिक जिस समय द्रौपदी मुर्मू शादी करके ससुराल पहुंची थीं तो उस वक्त उनका घर भी कच्चा था. कच्ची दीवारें और फूंस का छप्पर था. 

4 साल में तीन लोगों की हुई मौत

द्रौपदी मुर्मू ने अपनों को बहुत करीब से बिछड़ते देखा है. दैनिक भास्कर की एक खबर मुताबिक साल 2010 से 2014 तक उनके घर से तीन अर्थियां उठी थीं. इन चार सालों के भीतर उनके दो बेटे और पति की मौत हुई है. बड़े बेटे की मौत आज भी रहस्य बनी हुई है. पता नहीं किस तरह उनके बड़े बेटे की मौत हुई है. बताया जाता है कि उसकी लाश कमरे से मिली थी और वो एक शाम को देर से घर वापस लौटे थे. बड़े बेटे का नाम लक्ष्मण मुर्मू था, उनकी मौत महज़ 25 बरस की उम्र में हुई थी. वहीं छोटे बेटे (बिरंची मुर्मू) की मौत एक सड़क हादसे में हुई थी उस वक्त बिरंची की उम्र 28 साल थी.. वहीं एक अक्टूबर 2014 को उनके पति भी उनका हमेशा के लिए साथ छोड़कर चले गए. 

3 साल की बेटी की हो गई थी मौत

वहीं अगर उनके पहले दुख की बात करें तो सबसे पहले दुख उन्हें अपनी शादी कुछ दिन बाद ही मिल गया था. क्योंकि उनकी पहली औलाद भी उन्हें 3 साल की उम्र में छोड़कर चली गई थी. यह घटना साल 1984 की है. मुर्मू की पहली संतान एक बेटी थी. जिंदगी में तमाम दुखों का सामने करने के बावजूद मुर्मू ने हार नहीं मानी. हालांकि वो इस दौरान डिप्रेशन तक का शिकार रही थीं लेकिन उनके फौलादी हौसलों को कोई भी नहीं हिला सका. 

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